Panchlight Kahani ka saransh kaise likhe

Panchlight Kahani ka saransh

 

आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि Panchlight Kahani ka saransh कैसे लिखे। अगर आप भी Panchlight Kahani ka saransh के बारे में जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अन्त तक जरूर पढ़ें।

फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ जी हिन्दी जगत के सुप्रसिध्द आंचलिक कथाकार हैं। बहुत से जन -आन्दोलनों से वे नजदिक से जुड़ें रहें, यहि एक विशेष कारण हैं की वे ग्रामिण अंचलों से उनका निकट का परिचय हैं।  उन्होंने अपने पात्रों की कल्पना किसी कॉफी हाउस में बैठकर नहीं बल्कि उन्होने खुद अपने पात्रों के बीच रहें हैं। बिहार के अंचलों के सजीव चित्रण इनकी कथाओं के अलंकार हैं। पंचलाइट भी बिहार के आंचलिक परिवेश की  कहानी हैं। शीर्षक कथा का केन्द्र बिन्दु हैं।  शीर्षक को पढ़कर ही पाठक कहानी को पढ़ने के लिए उत्सुक हो जाता हैं।

Panchlight Kahani ka saransh kaise likhe

इस Panchlight Kahani ka saransh के कहानी के माध्यम से ‘रेणु’ जी ने ग्रामीण अंचल का वास्तविक चित्र खीचा हैं। इस कहानी के बिहार के एक पिछड़े गांव के परिवेश का वास्तविक चित्र प्रस्तुत किया गया हैं।

बिहार के एक पिछड़े गांव के महतो टोली की कहानी हैं। इस कहानी में महतो टोली में अशिक्षित व्यक्ति हैं, अशिक्षित व्यक्ति रामनवमी के मेले में पेट्रोमैक्स खरीदते है जिसे वह पंचलाइट कहते हैं। पंचलाइट को सीधे साधे व्यक्ति सम्नान की वस्तु समझते हैं। पंचलाइट को देखने के लिए टोली के सभी बच्चे, औरत और मर्द इकठ्ठा हो जाते हैं।

सरदार अपनी धर्म पत्नी को  आदेश देता है कि कोई भी शुभ कार्य करने से पहले पूजा पाठ किया जाता हैं,  जिससे उसकी पत्नी पूजा पाठ की व्यवस्था कर ले। सभी लोग  हैं लेकिन समस्या उठती हैं कि पंचलाइट जलाएगा कौन ?  सीधे -साधे साधरण लोग पंचलाइट के बारे में नही जानते थे, इसलिए लोगों को पेट्रोमैक्स को जलाना तक नहीं जानते हैं।

Panchlight Kahani ka saransh likhna Seekhe

उस टोली में गोधन नाम का एक युवक रहत हैं। वह गांव की मुनरी नामक एक युवती से प्रेम करता हैं। मुनरी की मां ने पंचों से गोधन की शिकायत भी की थी। गोधन अपने प्रेमिका के  घर के सामने से सिनेमा गाना गाता हुआ निकला करता हैं। इसी कारण से पंचो ने उसे जाति से निकाल रखा हैं। मुनरी को यह बात पता हैं कि गोधन को पंचलाइट जलाना आता हैं और उसे जला सकता हैं।

यह बात मुनरी ने अपने चतुराई से पंचो तक पहुंचा देती हैं। यह बात जान कर पंच गोधन को पुनः जाती में शमलित कर लेते हैं। गोधन पंचलाइट को जला देता हैं। यह देखकर मुनरी का माता गुलरी काकी खुश  होकर गोधन को आमत्रतित करती हैं शाम को भोजन के लिए । इसके साथ ही साथ पंच भी  बहुत खुश होते हैं और गोधन को बोल देते हैं कि तुम्हारा सात खून माफ। अब तुम खूब गाओं सलीमा का गाना।

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गोधन के द्वारा पेट्रोमैक्स जला देने पर उसकी सभी गलतियाँ माफ कर दी जाती हैं। उस पर लगे सारे प्रतिबन्ध हट जाते हैं तथा उसे मनोनुकूल आचरण की छूट भी मील जाती हैं। इससे स्पष्ट होता हैं कि आवश्यकता बड़े से बड़े रुढ़िगत संस्कार और परम्परा को व्यर्थ साबित कर देती हैं। कथानक संक्षिप्त रोचक, सरल, मनोवैज्ञानिक और यथार्थवादी हैं। इसी केन्द्रीय भाव के आधार पर कहानी के एक महत्तवपूर्ण उद्देश्य को स्पष्ट किया गया हैं।

Panchlight Kahani ka saransh

इस प्रकार ‘पंचलाइट’ जलाने की समस्या और उसके समाधान के माध्यम से कहानीकार ने ग्रामीण मनोविज्ञान का सजीव चित्र उपस्थित कर दिया हैं। ग्रामवासी जाती के आधार पर किस प्रकार टोलियों में विभक्त हो जाते हैं  और आपस में ईर्ष्या- द्वेष युक्त भावों से भरे रहते हैं, इसका बड़ा ही सजीव चित्रण स कहानी में हुआ है। ‘रेणु’ जी ने यह भी दर्शाया है कि भौतिक विकास के इस आधुनिक युग में भी भारतीय गाँव और कुछ जातियाँ कितने अधिक पिछड़े हुए हैं। कहानी के माध्यम से ‘रेणु’ जी ने अप्रत्यक्ष रुप से ग्राम-सुधार की प्रेरणा भी दी हैं।

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