Explain The Primary Communication And Its Types
Primary Communication :- प्राथमिक संचार मॉडल यह समझने में मद्द करता हैं कि संचार कार्य कैसे किया जा सकता हैं। मॉडल का उपयोग व्यावसायिक कम्पनियों और अन्य कम्पनियों द्वारा उनके संचार को बढ़ावा देने, उनके विक्लपों का पता लगाने और अपनी स्थितियों का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता हैं। एक विशिष्ट संचार मॉडल चुनने से पहले संचार के उद्देश् और उपयोग किये जाने वाले संचार के तरीकों व चैनलों पर विचार कर लेना चाहिए।
प्राथमिक संचार (Primary Communication) मॉडल कुछ इस प्रकार होता हैं
Components of the Primary Communication Model
- प्रेषक
- एनकोडिंग
- सन्देश
- माध्यम
- डिकोडिंग
- प्राप्तकर्ता
- प्रतिक्रिया
- प्रतिपुष्टि
- संचार प्रोटोकॉल
प्रेषक (Sender)
प्रेषक सम्देश को भेजने वाला व्यक्ति प्रेषक या सेण्डर कहलाता हैं। प्रेषक के पास विचार, सूचनाएँ, भावनाएँ, मूल्य आदि होते हैं, जिसे वह प्राप्तकरर्ता के साथ साझा करना चाहता हैं। अपने विचार, भावना, मूल्यों आदि को उचित ढ़ग से पेश करने के लिए सबसे पहले, उसे स्वयं स्पष्ट कर लेना चाहिए।
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एनकोडिंग
एनकोडिंग विचार आदि तय हो जाने पर प्रेषक इसे स्पष्ट शब्दों अथवा संकेतों में बाँधता हैं। सूचनाओँ को शब्दो, चित्रों चिन्हो, तालिकाओँ में बदलना एनकोडिंग कहलाता हैं।
सन्देश
सन्देश यह प्राथमिक संचार (Primary Communication) मॉडल का मुख्य अवयव है। वह डाटा तथा सूचना जो प्रेषक द्वारा भेजी जाती हैं, संदेश कहलाती हैं। उदाहरण के लिए ध्वनि, फाइल, ई-मेल आदि। यह सन्देश मौखिक या लिखित भी हो सकता है।
माध्यम
माध्यम जब प्रेषक अपने सन्देश को प्राप्तकर्ता के पास भेजना चाहता हैं, तब वह इस बात का निश्चय करता हैं कि वह इसे किस माध्यम में भेजेगा। कम्यूनिकेशन केविभिन्न माध्यम हो सकते हैं, जैसे लिखित पत्र, टेलीफोन, टैलेक्स, तार आदि। वह भौतिक पथ जिसके द्वारा डाटा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया जाता है, माध्यम कहलाता हैं। इसे चैनल भी कहते हैं.।
डिकोडिंग
इसके अन्तर्गत प्राप्तकर्ता प्राप्त किए सन्देश का अपनी समझ के अनुसार अर्थ लगाता है व प्रेषक के उद्देश्य को समझाता हैं।
प्राप्तकर्ता
यह वह व्यक्ति होता हैं जिसे सन्देश भेजा जाता हैं, यह सन्देश का श्रोता, पाठक और प्राप्तकर्ता होता हैं।
प्रतिक्रिया
प्राप्तकर्ता, सन्देश को ठीक प्रकार से समझ लेने पर कोई प्रतिक्रिया करता हैं। इसका अभिप्राय प्रेषक द्वारा दिए गए सन्देश, विचार या सूचना का प्राप्तकर्ता पर प्रभाव हैं। प्रतिक्रिया अनुकूल अथवा प्रतिकूल भी हो सकता हैं।
प्रतिपुष्टि
यह सम्प्रेषण प्रक्रिया का अन्तिम चरण हैं, जिसके माध्यम से सम्प्रेषण की प्रभावशीलता की जाँच की जाती हैं।
संचार प्रोटोकॉल
यह नियमों का वह सेट है, जिनका प्रयोग एक संचार चैनल पर जानकारी भेजने के लिए आवश्यक होता हैं।
Types of primary communication models
सामान्यतः प्राथमिक संचार(Primary Communication) मॉडल तीन प्रकार के होते हैं, जो निन्म है
- रैखिक संचार मॉडल
- इण्टरैक्टिव संचार मॉडल
- ट्रांजैक्शनल संचार मॉडल
रैखिक संचार मॉडल
यह मॉडल एक सरल एकल दिशात्मक (One Directional) संचार मॉडल है जहाँ प्रेषक (Sender) एक सन्देश को एक चैनल के माध्यम से एनकोड करता हैं और प्राप्तकर्ता (Receiver) द्वारा सन्देश को डिकोड किया जाता हैं। सन्देश प्रेषक से प्राप्तकर्ता तक एक सीधी रेखा चलता हैं। इसमें फीडबैक की कोई अवधारणा नहीं हैं। यह आमतौर पर बड़े पैमाने पर संचार में पाया जाने वाला स्ट्रेट लाइन संचार है। जैसे टेलीविजन, रेडियों, समाचार पत्र आदि।
इण्टरैक्टिव संचार मॉडल
यह मॉडल द्वि दिशात्मक (Bi-directional) संचार मॉडल हैं। जहाँ प्रेषक एक सन्देश को एक चैनल क माध्यम से एनकोड करता है और प्राप्तकर्ता द्वारा सन्देश को डिकोड किया जाता हैं। उसके पश्चात् प्राप्तकर्ता सन्देश का फीडबैक प्रेषक को भेजता हैं। इसमें संचार दोनों दिशाओं में होता हैं। जैसे टेलीफोन कॉल, ई-मेल सन्देश आदि।
ट्रांजैक्शनल संचार मॉडल
इस मॉडल में प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों को संचारक के रुप में जाना जाता हैं और दोनों संचार में समान रुप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह मॉडल आमने- सामने की बातचीत को दर्शाता है जिसमें इशारों (Gesture), शरीर की भाषा (Body Language) जैसी गैर – मोखिक प्रतिक्रिया (Non -Verbal Feedback) को फीडबैक माना जाता हैं।