आज के पोस्ट में Class 12 chemistry से रिलेटेड महत्वपूर्ण टापिक बताया गया है।
- द्विक लवण – वे योगात्मक यौगिक जो ठोस अवस्था में तो स्थायी होते हैं, परन्तु जल में घोलने पर अवयवी आयनों में विभक्त हो जाते हैं, द्विक लवण कहलाते हैं।
- उपसहसंयोजक यौगिक – वे योगत्मक योगिक जो ठोस एवं जलीय विलयन दोनों में स्थायी होते हैं, उपसहसंयोजक ( संकुल) यौगिक कहलाते हैं।
- लिगेण्ड – वे परमाणु, अणु या आयन जो उपसहसंयोजक यौगिक में केन्द्रीय धातु परमाणु को इलेक्ट्रॉनिक युग्म प्रदान करके उससे उपसहसंयोजक आबन्ध बनाते हैं, लिगेण्ड कहलाते हैं।
- स्थायित्व – एथिलीन डाइऐमिन, ऑक्सैलेट आयन व EDTA ऐसे लिगेण्ड हैं जो धातु आयन के साथ कीलेट वलय बनाकर उन्हें स्थायित्व प्रदान करते हैं।
- उपसहसंयोजन समन्वय संख्या – केन्द्रीय धातु परमाणु से उपसहसंयोजक आबन्ध द्वारा जुड़े एकदन्तीय लिगेण्डों की संख्या धातु की समन्वय संख्या या उपसहसंयोजन संख्या कहलाती है।
- नामकरण – संकुल आयन के नाम से सबसे पहले लिगेण्ड़ों के नाम ( अंग्रेजी वर्णमाला के क्रमानुसार ), फिर धातु आयन का नाम तत्पशचात् धातु आयन की ऑक्सीकरण अवस्था रोमन अंको में लिखी जाती हैं।
[ Co ( NH3 ) 6 ] हेक्साऐम्मीनकोबाल्ट ( III) आयन - समावयक्ता – समान अणुसूत्र वाले संकुलों का भिन्न – भिन्न संरचना प्रदर्शित करने का गुण समावयवतां कहलाता हैं। समावयवता दो प्रकार की होती हैं संरचनात्मक समावयकता तथा त्रिविम समावयवता।
- संरचनात्मक समावयक्ता – यह संरचना में भिन्नता के कारण उत्पन्न होती है तथा इस प्रकार की होती है- 1. आयनन – आयनों में भिन्नता के कारण, 2. बन्धन- उभयदन्ती लिगेण्ड उपस्थित होने पर, 3. जलयोजन – जल के अणु में भिन्नता होने पर, 4. बहुलकीकरण – 5. उपसहसंयोजक 6. उपसहसंयोजक स्थान ।
- त्रिविम समावयवता – यह विन्यास में भिन्नता से उत्पन्न होती है तथा दो प्रकार की होती है- (1) प्रकाशिक समावयवता (2) ज्यामितिय समावयवता ।
- संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त – (1) संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त केन्द्रीय धातु परमाणु के कक्षकों के अतिव्यापन एवं संकरण की अवधारणा पर आधारित हैं।
(2) VBT के अनुसार आयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होने पर संकुल रंगीन एवं अनुचुम्बकीय होंगे, जबकि सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होने पर रंगहीन तथा प्रतिचुम्बकीय होंगे। - क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त ( CRT ) यह सिद्धान्त धातु आयन पर समभ्रंश कक्षकों के ऊर्जा विपाटन पर आधारित है जो लिगेण्डो के आक्रमण पर निर्भर करता हैं।
- आकृति – 6 लिगेण्डों के आक्रमण पर अष्टफलकीय तथा 4 लिगेण्डों के आक्रमण पर चतुष्फलकीय या वर्ग समतल संकुल बनते हैं।
बहुविकल्पीय प्रश्न-
प्रश्न 1. – [Co(en)2 Cl2]Cl में Co की समन्वय संख्या हैं-
(i) 3
(ii) 4
(iii) 5
(iv) 6
उत्तर – (iv) 6
प्रश्न 2. – [Cr (H2O)4Cl2]+ आयन में Cr की संयोजकता होती हैं-
(i) 3
(ii) 1
(iii) 6
(iv) 5
उत्तर – (iii) 6
प्रश्न 3. – [ Co(NH3)5Cl] Cl2 में Co की ऑक्सीकरण अवस्था है-
(i) +1
(ii) +2
(iii) +3
(iv +4
उत्तर – (iii) +3
प्रश्न 4. [Cu (CN)4]3- आयन में Cu की ऑक्सीकरण संख्या है-
(i) +2
(ii) +3
(iii) +1
(iv) -7
उत्तर – (iii) +1
प्रश्न 5.- निम्नलिखित में से कौन – सा आयन उपसहसंयोजन यौगिक नही बनाता हैं?
(i) Na+
(ii) Cr2+
(iii) Co2+
(iv) Cr3+
उत्तर – (i) Na+
प्रश्न 6.- कौन – सा धनायन अमोनिया के साथ ऐमीन संकुल नहीं बनाता हैं?
(i) Ag+
(ii) Al3+
(iii)Cd2+
(iv) Cu2+
उत्तर – (ii) Al3+
प्रश्न 7. निम्नलिखित वर्ग समतली यौगिकों में से कौन – सा समपक्ष एवं विपक्ष समावयवी रूप में विद्यमान होता हैं?
(i) Ma4
(ii) Ma3b
(iii) Ma2b2
(iv) Mabcd
उत्तर – Ma2b2
प्रश्न 8.- निम्नलिखित में से रंगहीन संकुल आयन है-
(i) [ Cu(NH3)4]2+
(ii) [Zn(NH3)4]2+
(iii) [Fe( H2O6]3+
(iv) [Fe(CN)6]3+
उत्तर – [Zn(NH3)4]2+
प्रश्न 9. जटिल यौगिक (Fe(H2O)5NO]SO4 में Fe के अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या हैं-
(i) 2
(ii) 4
(iii) 3
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (i) 2
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अतिलघु उत्तरीय class 12 chemistry
प्रश्न – 1. लिगेण्ड क्या है? दो उदाहरण भी दीजिए।
लिगेण्ड क्या हैं?
उत्तर – वह आण्विक अथवा आयनिक स्पीशीज जो संकर यौगिक में केन्द्रीय धातु परमाणु अथवा आयन से स्थायी रूप से जुड़ी होती है, लिगेण्ड कहलाती है।
उदाहरणार्थ – K4[Fe(CN)6] में CN– आयन लिगेण्ड है क्योकि यह संकर में केन्द्रीय Fe2+ आयन से सीधे जुड़ा है। [Cu(NH3)4)2+ एक अन्य संकर आयन है जिसमें Cu2+ आयन चार NH3 लिगेण्ड से जुड़ा हुआ हैं।
प्रश्न- 2. उपसहसंयोगिकों में ध्रुवण समावयवता को उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर – ऐसे यौगिक जिनके भौतिक व रासायनिक गुण समान होते है परन्तु जिनका व्यवहार ध्रुवित प्रकाश के प्रति भिन्न होता है प्रकाशिक समावयवी कहलाते हैं तथा इस घटना को प्रकाशिक समावयवता कहते हैं। समावयवी जो ध्रुवित प्रकाश के तल को दायी ओर ( घड़ी की दिशा ) में घुमाते है, दक्षिण ध्रुवण घूर्णक या d- रूप तथा जो ध्रुवित प्रकाश के तल को बायीं ओर ( घड़ी की दिशा के विपरीत) दिशा में घुमाते है, बाएँ या वाम ध्रुवण घूर्णक या l – रूप कहलाते हैं।
प्रश्न 3.– उपसहसंयोजन यौगिकों में केन्द्रीय परमाणु तथा उपसहसंयोजन संख्य़ा को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उपसहसंयोजन यौगिकों में केन्द्रीय परमाणु – वे धातु परमाणु या आयन जो परमाणुओं अथवा परमाणुओं के समूह ( लिगेण्ड) द्वारा स्थायी रूप से हुड़े होते हैं केन्द्रीय परमाणु अथवा आयन कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ – K4 [Fe(CN)6 ] में Fe2+ केन्द्रीय परमाणु हैं।
प्रश्न-4. – प्रत्येक के दो – दो उदाहरण देते हुए द्विव लवण तथा संकुल यौगिकों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – द्विक – लवण – वे यौगिक जो विलयन में अपनी पहचान खो देते हैं अर्थात जो विलयन में सरल आयनों में विभक्त हो जाते है, द्विक – लवण कहलाते हैं।
जैसे- पोटाश ऐलम [K2SO4 .Al2(SO4)3 . 24H2O] यह पानी में घोलने पर K+, SO42- , Al3+
आयनों में विभक्त हो जाती है। अतः यह एक द्विक- लवण हैं।
- संकुल यौगिक या उपसहसंयोजक यौगिक –
वे यौगिक, जो विलयन में अपना अस्तित्व बनाए रखते हैं अर्थात जलीय विलयन में ये साधारण आयनों में विभक्त नही होते है, संकुल आयन या जटिल आयन कहलाते हैं। जैसे- पोटैशियम फेरोसायनाइड, K4[Fe(CN)6], जलीय आयन और संकुल या उपसहसंयोजक यौगिक है।
प्रश्न- 5- VIT sk आधार पर [Fe F6]3- संकुल आयन की संरचना एवं चुम्बकीय प्रकृति बताइए।
उत्तर – sp3d2 प्रकार का संकरण, अष्टफलकीय संरचना, अनुचुम्बकीय प्रकृति।
प्रश्न-6. प्रभावी परमाणु क्रमांक क्या है? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर-. प्रभावी परमाणु क्रमांक = परमाणु क्रमांक + ग्रहण किये गये इलेक्ट्रॉनों की संख्या – त्याग किए गए इलेक्ट्रॉनों की संख्या।
पश्न- 7. उपसहसंयोजन संख्या को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- संकुल यौगिकों में केन्द्रीय धातु के द्वारा लिगेण्ड के साथ बनाए गए उपसहसंयोजक आबन्धों की संख्या धातु की उपसहसंयोजन संख्या कहलाती हैं।
प्रश्न- 8. संकर आयन को परिभाषित कीजए।
उत्तर – उदासीन अणुओं या आयनों के केन्द्रिय धातु परमाणु से उपसहसंयोजन आबन्ध द्वारा आबन्धित होने से प्राप्त स्पीशीज पर यदि धन या ऋणावेश उपस्थित होता हो तो ऐसी स्पीशीज को संकर आयन कहते हैं।
प्रश्न – 9. FeSO4 विलयन तथा (NH4)2SO4 विलयन का 1 अनुपात 1 मोलर अनुपात में मिश्रण Fe2+ आयनों का परीक्षण देता है, परन्तु CuSO4 तथा जलीय अमोनिया ( NH3) का 1 अनुपाते 4 मोलर अनुपात में मिश्रण Cu2+ आयनों का परीक्षण नहीं देता हैं। क्यों ?
उत्तर – FeSO4 (NH4)2SO4 में मिलाने पर द्विकलवण का निर्माण होता है जो पूर्णतः आयनों में विघटित हो जाता है।
FeSO4 + 6H2O + (NH4)2SO4 – FeSO4 (NH4)2SO4.6H2O
द्विकलवण का निर्माण विलयन में Fe2+ आयन की उपस्थिति को दर्शाता है। जब CuSO4 को (NH4)2SO4 में मिलाया जाता है तो एक जटिल यौगिक का निर्माण होता हैं। जो पूर्णतः आयनों में विघटित नहीं होता है। विघटित न होकर जटिल यौगिक जटिल आयन का निर्माण करता है, जैसे कि [Cu(NH)3)4]2+