Open System Inter Connection (OSI) ओपन सिस्टम इन्टरकनेक्ट
Open System Inter Connection:- Internatonal Standard Orgainisation (ISO) द्वारा 1977 में एक OSI अर्थात Open System Inter Connection (ओपन सिस्टम इन्टरकने्ट) मॉडल का निर्माण किया गया जिससे संचार (Communication) प्रोटोकाल को सात (Seven) स्तरों (Layers) में विभाजित किया गया। इसके अंतर्गत दो नोड्स (Nodes) के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान में प्रत्येत स्तर पर किसी एक प्रकार का कार्य संचालित होता हैं।
Kinds of Open System Inter Connection ओपन सिस्टम इन्टरकने्ट कितने प्रकार के होते है।
There are 07 types of Open System Inter Connection
- फिजिकल लेयर (Physical layer):- इस स्तर का उपयोग कम्यूनिकेशन माध्यम से जुड़े किन्ही दो नोड के मध्य सीक्वेंस (Sequence) ट्रॉस्मिट करने के लिए किया जाता हैं। यह एक वर्चुअल लिंक (Virtual Link ) मैकनिकल व इन्टरफेस प्रदान करता हैं।
- डाटा लिंक लेयर (Data Link Layer) :- किन्ही दो नोड्स के मध्य त्रुटियों सेरहित कम्पयूनिकेशन (Communication) की स्थापना करना ही डाटा लिकं लेयर का कार्य हैं।
- नेटवर्क लेयर (Network Layer) :- इसका प्रयोग डाटा को जिस रास्ते से ट्रॉस्मिट करना है, उसका चुनाव (Selection) करना होता हैं। नेटवर्क लेयर, डाटा लिंक लेयर के सिगंनल प्राप्त कर उन्हें ट्रॉस्पोर्ट लेयर में भेज देती हैं।
- ट्राँस्पोर्ट लेयर (Transprt Layer) :- इस लेयर का प्रमुख कार्य सेक्सन लेयर से प्रापत सिग्नल को विभिन्न छोटे- छोटे पैक्टों में विभाजित करना हैं। तत्पश्चात इन पैकेट को उनके निर्धारित स्थान पर ट्रॉस्मिट कर दिया जाता हैं।
- सेक्शन लेयर (Section Layer) :- यह लेयर दो अलग अलग कम्प्यूटरों में स्थित प्राप्तायों के बीच एक प्रकार का संबंध स्थापित करती हैं।
- प्रजेन्टेशन लेयर (Presentation layer) :- इसका प्रमुख कार्य डाटा को ट्रटस्मिट करना होता है, इसमें प्रयुक्त किया जाने वाला फार्मेट व डाटा प्रेजेन्टेशन में काम आने वाला फार्मेट विभिन्न प्रकार के होते हैं। साथ ही यह डाटा का कम्परेशन व डिकम्प्रेशन करने का कार्य भी करता हैं जिससे की अधइक कार्र कुशलता से डाटा ट्रॉस्मिट हो सके।
- एप्लीकेशन लेयर (Application Layer) :- यह लेयर यूजर को इस प्रकार की सेवाएँ प्रदान करती है कि प्रयोगकर्ता सुरगमता पूर्वक नेटवर्क का प्रयोग कर सके। इसका प्रमुख कार्य फाइलों को ट्रॉसफर करना होता हैं।
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About Open System Inter Connection
विभिन्न लोकल एरिया नेटवर्को (LAN) को जिनकी कार्य प्रणाली एक समान ही होती है, इन्हे आपस में मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार से जौड़ा जा सकता हैं-
- रिपीटर (Repeater)
- ब्रिज (Bridge)
- रुटर्स (Routers)
- गेटवे (Gateway)
- रिपीटर (Repeater)– जब सूचनाओं/ डाटा के समगन्व एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजे जाते हैं तो सिग्नल (Signal) कमजोर (Weak) पड़ जाते है, इन सिग्नलों को परिवर्तित करने के लिए रिपीटर का प्रयोग किया जाता हैं। यह सिग्नल डाटा/ आवाज के रुप में दे सकते हैं।
- ब्रिज (Bridge):- इसके अंतर्गत एक समान सॉफ्टवेयर का सहायता से नेटवर्कों को आपस में जोड़ा जा सकता है। ब्रिज मुख्यतः डाटालिंक स्तर पर कार्य करता हैं। नोड्स की संख्या जब अधिक होती हैं तब डाटा हस्तानतरण (Transfer) की गति (Speed) कम हो जाती हैं, इस समस्या के समाधान हेतु Bridge का प्रयोग किया जाता हैं।
- रुटर्स (Routers) : इसका प्रयोग उस स्थिति में किया जाता हैं जब अत्यन्त जटिल नेटवर्कों को आपस में जोड़ना होता हैं। इसमें डाटा के हस्तान्तरित करने हेतु एक ही प्रकार प्रोटोकॉल का आवश्यकता होती हैं, रुटर्स (Routers) कम्प्यूटर व उनके स्थित सॉफ्टवेयर भिन्न भिन्न होने पर भी कार्यों को रुपान्तरित कर सकता हैं। उदाहरण- इंटरनेट प्रोटोकॉल।
- गेटवे (Gatewa) :- इसकी कार्यप्रणाली रुटर्स से भी उच्चस्तर की होती हैं, इसकी सहायता से दो अलग प्रकार के नेटवर्कों को भी आपस में जोड़ा जा सकता हैं। उदाहरण स्वरुप आपके पास Unix आपरोटिंग सिस्टम है, और किया जा सकता हैं। गेटवे में एक विभिन्न प्रकार के हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर उपलब्ध होते हैं।