Class 12 Chemistry Chapter 3 |अध्याय – 3. रासायनिक बलगतिकी free

स्टूडेंट आज के इस पोस्ट में कक्षा 12 रसायन विज्ञान चैप्टर 3  Class 12 Chemistry Chapter 3 |अध्याय – 3. रासायनिक बलगतिकी का महत्वपूर्ण क्वेश्चन दिया गया है इन प्रश्नों को सही से तैयार करें और आने वाले समय में और भी आपको इसी तरह का प्रश्न है इस साइट पर मिलता रहेगा बिहार बोर्ड यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न इसमें बताया गया है अब इसको अंतिम तक पढ़े और समझे बहुत मजा है तो कमेंट करके बताएं

अभिक्रिया का वेग

प्रश्न –1. (1) अभिक्रिया का वेग ( औसत दर ) क्या है?
(2) अभिक्रिया की तात्क्षणिक द्र को परिभाषित कीजिए।

उत्तर – (1) वह दर, जिस पर समय के साथ – साथ अभिकारक पदार्थो का सान्द्रण परिवर्तित होता है, अभिक्रिया का औसत वेग कहलाता है। यदि सूक्ष्म अन्तराल dt मोल उत्पाद में परिवर्तित होते हों तो –        अभिक्रिया का वेग =
यदि, अन्तराल dt में अभिकारक के dc मोल शेष रहते हों तो
अभिक्रिया का वेग = –

(2) किसी निश्चित क्षण पर किसी एक अभिकारक अथवा उत्पाद के सान्द्रता परिवर्तन की दर ( अथवा इकाई समय में सान्द्रता परिवर्तन ) उस क्षण पर अभिक्रिया की दर अर्थात् अभिक्रिया की तात्क्षणिक दर कहलाती है। वास्तव में, तात्क्षणिक दर लघुतम सम्भव समय अन्तराल ( जब शून्य की ओर अग्रसर हो) के दौरान औसत दर होती है। यदि किसी लघुतम समय अन्तराल  dt में होने वाला लघुतम सान्द्रता परिवर्तन dx है तो rinst =

प्रश्न – 2. अभिक्रियाः NO2 (g) + CO (g)  CO2 (g) + NO(g) के लिए प्रस्तावित क्रियाविधि निम्न है-
(i) NO2 + NO2 NO+ NO3 ( मन्य)
(ii) NO3 + CO   CO2 + NO2 (तीव्र)
अभिक्रिया का वेग (दर) क्या है?

उत्तर – हम जानते हैं कि यदि कोई रासायनिक अभिक्रिया एक से अधिक पदों में होती है तो उन पदों में से मन्द अभिक्रिया पद उस रासायनिक अभिक्रिया का वेग निर्धारक पद होता है। चूँकि यहाँ पर मन्द अभिक्रिया पद में अर्थात अभिक्रिया के वेग निर्धारिक पद में दो NO2 अणु भाग रहे है, अतः इस अभिक्रिया का वेग (दर) निम्न होगा-
वेग = K [ NO2 ]2 [CO ]0

अभिक्रिया का वेग स्थिरांक

प्रश्न – 3. अभिक्रिया का वेग स्थिरांक क्या है?

उत्तर – यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया में किसी क्षण अभिकारक का आण्विक सान्द्रण C हो, तो उस समय अभिक्रिया का वेग ), सान्द्रण C के समानुपाती होता हैं,

अर्थात्     C  or     = kc
जहाँ, k  एक स्थिरांक है, जिसे वेग स्थिरांक कहते हैं।

अब यदि       C = 1   तो      = k

अतः स्थिर ताप पर अभिकारक पदार्थ के इकाई सान्द्रण पर होने वाले अभिक्रिया के वेग को उस अभिक्रिया का वेग स्थिरांक कहते हैं।

वेग स्थिरांक तथा साम्य स्थिरांक में अन्तर

प्रश्न – 4. वेग स्थिरांक तथा साम्य स्थिरांक में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – वेग स्थिरांक अभिकारक पदार्थ की इकाई सान्द्रता पर होने वाली में अग्र अभिक्रिया के वेग स्थिरांक तथा विपरीत क्रिया के साम्य स्थिरांक का अनुपात होता है।

प्रश्न – 5. तापीय गुणांक क्या है? अभिक्रिया के वेग से इसका सम्बन्ध बताइए।

उत्तर – तापीय गुणांक 10 अन्तर के दो भिन्न तापों पर वेग स्थिरांकों के अनुपात के बराबर होता है।
वेग स्थिरांक का तापीय गुणांक =

यह स्थिरांक मान 2 और 3 के मध्य में होता हैं।

प्रश्न – 6. कारण सहित बताइए कि निम्न में अभिक्रिया की कोटि क्या होगी ?
2FeCl3 + SnCl2   SnCl4 + 2FeCl2

उत्तर – अभिक्रिया तृतीय कोटि की है, क्योंकि तृतीय कोटि की अभिक्रिया में अभिक्रिया पदार्थ के तीन अणुओं का सान्द्रण समय के साथ – साथ परिवर्तित होता है अर्थात इनका वेग अभिकारक के तीन अणुओं के सान्द्रण के रूप में व्यक्त होता है।

शून्य कोटि की अभिक्रिया

प्रश्न – 5. शून्य कोटि की अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा समझाइए। इसके वेग स्थिरांक का व्यंजक लिखिए।

उत्तर – शून्य कोटि की अभिक्रिया –  वह अभिक्रिया जिसकी प्रगति में अभिकारक के कसी भी अणु का सान्द्रण परिवर्तित नहीं होता है अर्थात जिसका वेग अभिकारक के सान्द्रण पर निर्भर नही करता है, शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है।
A   B + C

यदि इसका वेग   [A] हो तो यह शून्य कोटि की अभिक्रिया होगी।
उदाहरण – सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में  H2 व  Cl2 का संयोग

H2  + Cl2      2HCl

शून्य किटि के वेग स्थिरांक का व्यंजक –  शून्य कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का व्यंजक x = kt है
जहाँ, x अभिकारक  A  की वह मात्रा है, जो t समय में अभिक्रिया करती है और k अभिक्रिया का वेग स्थिरांक हैं।

प्रथम कोटि की अभिक्रिया

प्रश्न – 6. प्रथम कोटि की अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा समझाइए।
या
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के चार प्रमुख लक्षण लिखिए।

उत्तर – प्रथम कोटि की अभिक्रिया – वह अभिक्रिया जिसका वेग केवल एक अभिकारक की सान्द्रता के अनुक्रमानुपाती होता, प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरणार्थ – निम्नलिखित अभिक्रिया में केवल शक्कर के अणुओं की सान्द्रता परिवर्तित होती है, अतः यह प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।
C1H22O11  + H2     C6H12O6 + C6H12O6

प्रथम कोटि की अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है-

K = log10

जहाँ, a अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता तथा ( a – x ) समय t पर सान्द्रता है।

लक्षण –

  1. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक k का मान अभिकारक की सान्द्रता की इकाई पर निर्भर नहीं करता। यह केवल समय की इकाई पर निर्भर करता है।
  2. इस अभिक्रिया के लिए log ( a – x) t के मध्य ग्राम खींचने पर एक सरल रेखा प्राप्त होती है। जिसका ढाल है।
  3. प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध – आयुकाल अभिकारकों के प्रारम्भिक सान्द्रण पर निर्भर नहीं करता है।
  4. अभिक्रिया के पूर्ण होने में अनन्त समय लगता हैं।
  5. अभिकारक की सान्द्रता n गुना बढ़ने पर अभिक्रिया का वेग भी n गुना बढ़ जाता है।

प्रश्न – 7. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की इकाई ज्ञात कीजिए।

उत्तर – प्रथम कोटि की अभिक्रिया का वेग समीकरण –  r = k [A]1

k की इकाई  =  =   = सेकण्ड-1

संघट्ट आवृत्ति

प्रश्न- 8. संघट्ट आवृत्ति को परिभाषित कीजिए।

उत्तर – गैस के अणुओं के आपस में संघट्ट होने से ही रासायनिक अभिक्रिया सम्पन्न होती है। संघट्ट पूर्ण प्रत्यास्थ होता है। अभिक्रिया मिश्रण के इकाई आयन के बीच प्रति सेकण्ड होने वाले संघट्ट की संख्या को संकट्ट आवृति कहते है।

संघट्ट आवृति को Z द्वारा प्रदर्शित करते है।

class 12 chemistry chapter 3
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आणविकता तथा कोटि में अन्तर

प्रश्न – 9. आणविकता तथा कोटि में अन्तर स्पष्ट कीजिए। N2O5 के अपघटन की कोटि निर्धारित कीजए
या

आणविकता एवं अभिक्रिया की कोटि में अन्तर समझाइए।

उत्तर – अभिक्रिया की आणविकता और कोटि में अन्तर –
1. अभिक्रिया की आणविकता सदैव एक पूर्ण संख्या होती है, जबकि अभिक्रिया की कोटि भिन्नत्मता भी हो सकती है।

  1. अभिक्रिया की आणविकता कभी – भी शून्य नहीं सकती, जबकि अभिक्रिया की कोटि शून्य भी हो सकती है।
  2. किसी अभिक्रिया की आणविकता और कोटि समान या भिन्न – भिन्न हो सकती हैं।
  3. अभिक्रिया के वेग निर्धारक पद में भाग लेने वाले अणुओं की संख्या उस पद की आणविकता कहलाती है। अभिक्रिया की कोटि उन अणुओं की संख्या है, जिनकी सान्द्रताएँ अभिक्रिया के वेग को निर्धारित करती है।
  4. अभिक्रिया की आणविकता की व्याख्या। उसकी क्रिया – विधि द्वारा करते है, जबकि अभिक्रिया की कोटि प्रयोग द्वारा निकाली जाती है।
    N2O5 के तापीय अपघटन की अभिक्रिया
    2N2 4NO + O2 के लिए प्रयोगों द्वारा निर्धारित नियम निम्न है,
    दर = k[N2O5]

दर नियम में  N2O5 की सान्द्रता की घोल = 1 है, N2O5 का अपघटन प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।

प्रश्न- 10. सक्रियण ऊर्जा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर – सक्रियण ऊर्जा – (Activation Energy)

प्रत्येक अभिक्रिया के लिये एक ऊर्जा अवरोध होता है। उत्पाद केवल उस स्थिति में ही बन सकता है, जबकि अभिकारक के पास इस ऊर्जा अवरोध को पार करने के लिये पर्याप्त ऊर्जा हो। इस प्रकार, ऊर्जा अवरोध को पार करके उत्पाद बनाने के लिए अभिकारकों को एक निश्चित मात्रा में उर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न – 11. अभिक्रिया के औसत तथा तात्क्षणिक वेग को समझाइए और उन्हें प्रभावित करने वाले दो कारकों का वर्णन कीजिए।
या
किसी रासायनिक अभिक्रिया के वेग को ताप किस प्रकार प्रभावित करता है?
या
किसी रासायनिक अभिक्रिया अभिक्रिया के वेग पर दाब,सान्द्रता , ताप, उत्प्रेरक का क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर – 1. सान्द्रण – गतिज आण्विक सिद्धान्त के अनुसार आण्विक अभिक्रियाएँ अणुओं के परस्पर टकराने से होती हैं। अभिकारक का सान्द्रण बढ़ने से अणुओं की संख्या में वृद्धि होती है जिसके फलस्वररूप इकाई समय में अणुओं के आपस में टकराने की सम्भावना बढ़ने से अभिक्रिया का वेग भी बढ़ जाता है।

  1. ताप – ताप की वृद्धि से सक्रिय अणुओं तथा प्रभावकारी टक्करों की संख्या में वद्धि हो जाती है जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है।
  2. दाब – दाब बढ़ने से गैसीय अणु निकट आ जाते है जिसके फलस्वरूप उनके परस्पर टकराने की सम्भावना बढ़ जाती है अर्थात् वेग बढ़ जाता है।
  3. अभिकारकों के पृष्ठ क्षेत्रफल का प्रभाव – अभिकारक पदार्थों की भौतिक अवस्था का प्रभाव विषमांग अभिक्रिया पर पड़ता है जैसे – लकड़ी के लट्ठे की तुलना में लकड़ी का बुरादा तीव्रता से जलता है। अम्लों के साथ धातुओं की तुलना में धातु चूर्ण अधिक तीव्र वेग से क्रिया करते हैं अर्थात पृष्ट क्षेत्रफल बढ़ने पर अभिक्रिया का वेग बढ़ता है।
  4. उत्प्रेरक का प्रभाव – उत्प्रेरक वे पदार्थ है, उपस्थिति में अभिक्रिया का वेग अधिक या कम हो जाता है जो उत्प्रेरक की प्रकृति पर निर्भर करता हैं।
  5. अभिकारकों की प्रकृति पर – यदि अभिकारक आयनिक है तो उस अभिक्रिया का वेग अनायनिक अभिक्रियाओं के वेग से अधिक होता है।

प्रश्न – 12. अभिक्रिया के वेग पर उत्प्रेरक की उपस्थिति का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर – उत्प्रेक वह पदार्थ है जो स्वयं स्थायी रूप से परिवर्तित हुए बिना अभिक्रिया के वेग को परिवर्तित कर देता है। उदाहरण – MnO2 निम्नांकित अभिक्रिया को उत्प्रेरित कर वेग में महत्वपूर्ण वृद्धि करता है-
2KCl3  2KCl +3O2

के साथ अस्थायी बन्ध बनाया है जो कि मध्यवर्ती संकुल में परिणत होता है। इसका अस्तित्व क्षणिक होता है तथा यह वियोजित होकर उत्पाद एवं उत्प्रेक देता है। यह विश्वास किया जाता है कि उत्प्रेरक एक वैकल्पिक पथ अथवा क्रियाविधि से अभिकारकों व उत्पादों के मध्य सक्रियण ऊर्जा कम करके एवं इस प्रकार ऊर्जा अवरोध में कमी करके अभिक्रिया सम्पन्न करता है ।

अभिक्रिया की कोटि

प्रश्न – 13. अभिक्रिया की कोटि से आप क्या समझते हैं? प्रथम कोटि और शून्य कोटि की अभिक्रिया में क्या अन्तर हैं?

उत्तर – अभिक्रिया की कोटि के लिए

क्र.सं. शून्य कोटि की अभिक्रिया प्रथम कोटि की अभिक्रिया
1. यह R = K वेग नियम का पालन करता है, जहाँ K वेग स्थिरांक है यह R = K [R] नियम का पालन करता है, जहाँ k वेग स्थिरांक तथा R मोलर सान्द्रता का प्रदर्शित करता हैं।
2. अभिक्रिया वेग अभिक्रियक की सान्द्रता के शून्य घातांक के समानुपाती होता है। अभिक्रिया का वेग अभिक्रियक की सान्द्रता बढ़ाने पर बढ़ता है
3. वेग स्थिरांक की इकाई = mol L-1 S-1 वेग स्थिरांक की इकाई = S-1
4.  अर्द्ध- आयु काल यह अभिक्रियक की प्रारम्भिक सान्द्रता पर निर्भर करता है। अर्द्ध आयु काल यह अभिक्रिया की प्रारम्भिक सान्द्रता पर निर्भर करता है।

आज का यह पोस्ट कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताइएगा हम आपके कमेंट का इंतजार करेंगे

थैंक यू

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